कुष्ठ रोग के कारण लक्षण और उपाय(Solution on Leprosy Problems)

नमस्कार दोस्तों,आप सभी का सर्वांग आयुर्वेद वेबसाइट पर स्वागत है। आजका हमारा विषय हैं कुष्ठ रोग के लिए उपाय कारण और लक्षण। चलिए तो जान लेते हैं कुष्ट रोग के कारण लक्षण और घरेलू उपाय।

कुष्ठ रोग सदियों पुराना एक रोग है जिसको उस समय छुआछूत की बीमारी समझा जाता था। यह अन्य रोगों के विपरीत इसलिए होता है क्योंकि इसमें भय, अज्ञानता और अंधविश्वास से उत्पन्न होने वाला सामाजिक कलंक इस रोग का पता लगाने और इसका इलाज करवाने में बाधा उत्पन्न करता है। कुष्ठ रोग शिशुओं से लेकर बूढ़े लोगों तक किसी भी उम्र में हो सकता है।

कुष्ठ रोग क्या होता है?

त्वचा संबंधित समस्याओं को छिपा पाना आसान नहीं होता। अगर कोई व्यक्ति किसी त्वचा रोग से ग्रसित है, तो उसका दूसरों से मिलना-जुलना कम हो जाता है। साथ ही दूसरे भी उसे छूने से कतराते हैं। कुष्ठ रोग भी ऐसी ही बीमारी है, जो त्वचा को बुरी तरह से प्रभावित करती है। इससे ग्रसित व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों रूपों से पीड़ित रहता है। मानसिक इसलिए, क्योंकि कुष्ठ रोग के मरीज से अक्सर अन्य व्यक्ति दूरी बनाते हैं। यह एक गंभीर समस्या है, जिसके विषय में जानकारी रखना जरूरी है। चलिए तो जान लेते हैं कुष्ठ रोग क्या होता है उसके लक्षण और घरेलू उपाय।

कोढ़ को ही कुष्ठ रोग कहा जाता है, जो कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालिक रोग है, जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं की वजह से होता है। कुष्ठ रोग के रोगाणु की खोज 1873 में हन्सेन ने की थी इसलिए कुष्ठ रोग को ‘हन्सेन रोग’ भी कहा जाता है।

हमारे समाज में लंबे समय तक कोढ़ की बीमारी को शाप या भगवान द्वारा दिया गया दंड माना जाता रहा है। लेकिन ऐसा है नहीं… भले ही उस काल में ऐसा रहा हो लेकिन आज के समय में कुष्ठ रोग लाइफस्टाइल और पोषण की कमी से जुड़ी एक समस्या है। कोढ़ की बीमारी उन लोगों पर जल्दी हावी हो जाती है, जिनके शरीर में पोषण की कमी होती है…यह रोग मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है।  बल्कि यह रोग जीवाणु द्वारा होता है।

कुष्ठ रोग ऐसी बीमारी है जो हवा के जरिए फैलती है। लेप्रसी को हैनसेन रोग भी कहा जाता है। यह बीमारी बहुत धीमी रफ्तार से ग्रो होनेवाले बैक्टीरिया से फैलती है इसलिए पूरी तरह इसके लक्षण सामने आने में कई बार 4 से 5 साल का समय भी लग जाता है। जिस बैक्टीरिया के कारण यह बीमारी फैलती है, उसे माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रै कहा जाता है। इसी कारण इस बीमारी का इंग्लिश नेम लेप्रसी रखा गया।

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यह रोग भारत सहित संपूर्ण विश्व के पिछड़े हुए देशों के लिए एक ऐसी समस्या है, जो कि लाखों लोगों को दिव्यांग बना देता है, लेकिन पश्चिमी देशों में इस रोग का प्रभाव न के बराबर है। भारत देश में भी इस रोग पर काफी नियंत्रण किया जा चुका है। जिन कुष्ठ रोगियों को समाज धिक्कारता है, उन कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्तियों से हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी काफी स्नेह और सहानुभूति रखते थे, क्योंकि वे जानते थे कि इस रोग के क्या सामाजिक आयाम हैं। इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की काफी सेवा की और कुष्ठ रोगियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए काफी प्रयास किए।

आज आधुनिक चिकित्सा प्रणाली ने इतनी तरक्की कर ली है कि कुष्ठ रोग का इलाज कई वर्ष पूर्व ही संभव हो गया था। आज के समय में इस रोग की मल्टी ड्रग थैरेपी उपलब्ध है। अगर सही इलाज किया जाए तो रोगी निश्चित ही कुष्ठ रोग से मुक्त होकर एक सामान्य जिंदगी जी सकता है।। एक वक्त में यह दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी मानी जाती थी। लेकिन अब इस दिशा में मेडिकली कई सावधानियां और वैक्सीन्स हैं, जो बॉडी को इससे बचाती हैं।

कुष्ठ रोग के कारण(Causes of Leprosy)

कुष्ठ रोग को ज्यादा तरजीह उन लोगों को होता है जो हमेशा प्रकृति के विरुद्ध खाना खाते हैं।जैसे कि मांस का सेवन करने के बाद दूध पी लेना। इससे खून के अंदर जीवाणु पहुंच कर खून खराब कर देते हैं जिसकी वजह से कोड पैदा हो जाते हैं।अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो कोढ के जीवाणु खून में बड़ी रफ्तार से त्वचा पर फेल जाते हैं।इस वजह से सारे त्वचा पर कोड़ा बन जाता है। शरीर में अलग-अलग हिस्सों में जख्म पड़ने लगते हैं। कोढ़ के जख्मों से मवाद बहने लगते हैं। इस मवाद से और भी जीवाणु फैलने लगते हैं।

कुष्ठ रोग के लक्षण(Symptoms of Leprosy)

जोड़ों में दर्द,त्वचा पर दबाव देने पर भी त्वचा में कोई हरकत महसूस ना होना या कम महसूस होना,नसें क्षतिग्रस्त होना,वजन कम होना,त्वचा पर फोड़े या चकत्ते बनना,त्वचा पर फफोले बनना, त्वचा सपाट व पीले रंग के घाव या धब्बे बनना,आंखों संबंधी परेशानियां जैसे आंखों में सूखापन या पलक झपकना कम होना।बाल झड़ना,

कोढ़ के दौरान हमारे शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं। ये निशान सुन्न होते हैं यानी इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है। अगर आप इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो आपको दर्द का अहसास नहीं होगा। ये पैच या धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर होने शुरू हो सकते हैं, जो ठीक से इलाज ना कराने पर पूरे शरीर में भी फैल सकते हैं।

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कुष्ठ रोग के मरीज को पलक झपकने में दिक्कत होने लगती है। क्योंकि लेप्रै बैक्टीरिया मरीज की आंखों की नसों पर हावी होकर उनके सेंसेशन और सिग्नल्स को प्रभावित करता है। ऐसे में पेशंट को पलक झपकने की याद नही आती और पलक झपक भी नहीं पाती। इससे हर समय खुला रहने के कारण आंखें ड्राई होने लगती हैं और हमारी देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। आंखों से संबंधित कई रोग पनपने लगते हैं।

चुभन ही नहीं बल्कि कुष्ठ रोग के मरीज को शरीर के विभिन्न अंगों और खासतौर पर हाथ-पैर में ठंडे या गर्म मौसम और वस्तु का अहसास नहीं होता है। प्रभावित अंगों में चोट लगने, जलने या कटने का भी पता नहीं चलता है। जिससे यह बीमारी अधिक भयानक रूप लेने लगती हैं और शरीर को गलाने लगती है।

कुष्ठ रोग से बचने के लिए घरेलू उपाय(Solution on Leprosy Problems)

बीसीजी का टीका(BCG vaccinations)

कुष्ठ रोग एक ऐसी समस्या है, जिसका बचाव टीके के माध्यम से बचपन से ही किया जाता है। बीसीजी का टीका लगवाने से कुष्ठ रोग को रोका जा सकता है।  हालाँकि, यह इतना सामान्य नहीं है। यही कारण है कि बच्चों को बचपन में ही बीसीजी का टीका लगवा दिया जाता है ताकि आने वाले समय में उसे कुष्ठ रोग से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना करना न पड़े। इसके लिए यदि घरेलू उपाय देखें तो बता दें कि बच्चों के माता-पिता अथवा उसके परिवार जनों को बच्चों के लिए बीसीजी का टीका अवश्य लगवाना चाहिए।

कुष्ठ रोग के लिए उपाय नीम(using neem)

नीम  हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है, ये कई प्रकार के बैक्टीरिया और संक्रमण को दूर भगाने के लिए काफी असरदार होता है। आप नीम की पत्तियों में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण की मदद से अपने कुष्ठ रोग के खतरे को कम कर सकते हैं। नीम की पत्तियों का लेप कुष्ठ रोग के लिए लाभदायक माना जाता है, इसके लिए आप नीम की पत्तियों के पेस्ट में काली मिर्च का पाउडर मिलाएं और अपने प्रभावित हिस्से पर लगा लें। अगर आपके पास समय की कमी है तो आप नीम के पानी से नहा भी सकते हैं।

नीम के पत्ते का उपयोग और फायदे(Benefits of Neem)

नीम की पत्तियों की तरह नीम के फल का तेल भी बहुत अधिक फायदेमंद होता है जो कुष्ठ रोग को जड़ से खत्म करने के लिए बेहद कारगर सिद्ध होता है। कुष्ठ रोग को जड़ से खत्म करने के लिए कुष्ठ रोग वाले स्थान पर नीम के तेल का प्रयोग करें। ऐसा करने से कुष्ठ रोग से छुटकारा मिलता है। आप चाहें तो नीम के तेल के साथ मोगरा तेल मिलाकर भी इसका प्रयोग कर सकते हैं

कुष्ठ रोग के लिए उपाय हल्दी(using turmeric)

हल्दी हमारे स्वास्थ्य के लिए कितनी फायदेमंद होती है ये तो आप सभी जानते हैं, हल्दी आपको बाहरी और अंदरूनी तौर पर स्वस्थ और बीमारियों से दूर रखने का काम करता है। हल्दी की मदद से आप आसानी से किसी भी तरह के बैक्टीरिया या संक्रमण को आसानी से दूर कर सकते हैं जो आपको लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद करता है। ऐसे ही हल्दी कुष्ठ रोग के लिए असरदार मानी जाती है, क्योंकि हल्दी में भारी मात्रा में एंटीबैक्टीरियल और हाइडेकोटायल मौजूद होता है। हल्दी को पीड़ित व्यक्ति पट्टी में लगाकर अपने प्रभावित हिस्से पर लगाएं जिसकी मदद से आपके शरीर की सूजन कम हो सकती है और आपकी त्वचा में सुधार देखने को मिल सकता है।

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कुष्ठ रोग के लिए उपाय आंवला(using amla)

एक चम्मच आंवले का चूर्ण कि सुबह शाम फंकी लेने से कुछ ही समय में कोढ का रोग पूरी तरह से दूर हो जाता है। आंवला और नीम की पत्तियों को पीसकर शहद के साथ मिलाकर खाने से कुष्ठो के जख्मों से मवाद बहना बंद हो जाता है। इतना ही नहीं भयंकर गलित कुष्ठ में भी जल्दी से लाभ होता है।

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राइजोम्स(using Rhizome)

राइजोम्स कई बीमारियों से लड़ने के लिए फायदेमंद होता है, ऐसे ही ये आपको कुष्ठ रोग की समस्या से भी बाहर करने का काम करता है। राइजोम्स में मौजूद एंटीफंगल गुण आपके शरीर में मौजूद माइकोबैक्टीरियम को कम करने के साथ आपके शरीर में सुधार करने का काम करती है। आप इसे आसानी से कुष्ठ रोग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

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कुष्ठ रोग के लिए उपाय व्हीटग्रास(using Wheatgrass)

व्हीट ग्रास बहुत ही स्वास्थ्य लाभों के लिए जाने जाते हैं जिसकी मदद से आप कई तरह की शारीरिक समस्याओं को आसानी से दूर कर सकते हैं। व्हीट ग्रास की मदद से आप कुछ ही महीनों में कुष्ठ रोग के लक्षणों को कम कर सकते हैं। आपको बता दें कि व्हीट ग्रास का लेप कुष्ठ रोग के लिए अच्छा होता है, आप व्हीट ग्रास का पेस्ट बनाकर अपने प्रभावित हिस्से पर लगाएं।

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ध्यान में रखिए(Take Care Of)

अगर आपके घर में या आस-पास कोई इस तरह का व्यक्ति है, जिसकी आंखों में लगातार पानी आ रहा हो, हाथ पैर में छाले हो रहे हों, शरीर के कुछ हिस्से में गर्म-ठंडे का अहसास नहीं हो रहा हो या शरीर में सुन्नता बढ़ रही हो। तो कृपया करके डॉक्टर के पास जाने की सलाह दीजिए।

कुष्ठ रोग का पता प्रारंभिक अवस्था में ही चल जाता है और इसका सही तरीके से इलाज कराना शुरू कर दिया जाता है तो 6 महीने से लेकर डेढ़ साल के अंदर इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। इसलिए डरने की कोई बात नहीं है लेकिन इसे नजरअंदाज भी ना करें जल्दी से जल्दी डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

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