सिरदर्द सुनते ही महसूस होता हैं जो दर्द हल्का-हल्का शुरू होता है और धीरे-धीरे थोड़ा बढ़ जाता है और कभी-कभी तो असहनीय भी हो जाता है। कही बार ऐसा भी होता है कि दवाईयाँ लेने के बाद भी हमको सिर के दर्द से राहत नहीं मिलती।
– दुनियाभर में बहुत कम ही लोग सिरदर्द की बीमारी का इलाज डॉक्टर के पास जाकर कराते हैं. पूरी दुनिया में सिरदर्द को बहुत हल्के में लिया जाता है और इसकी पहचान, इलाज भी कम ही कराया जाता है।
हर बार यह गंभीर नहीं होता, लेकिन सिरदर्द को अनदेखा भी नहीं कीया जा सकता ।
सिर दर्द होने के कारण
आखिर सिर दर्द क्यों होता है?
सिरदर्द होने के बहुत सारे कारण हो सकते हैं जाने क्या हैं कारण –
- तनाव
- स्ट्रेस
- शारीरिक और मानसिक परिश्रम ज्यादा होना
- नींद पूरी ना होना
- भूख
- मोशन सिकनेस
- अत्यधिक शोर
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मोबाइल टीवी कंप्यूटर का ज्यादा उपयोग करना
- साइनस
- दांत दर्द
- ज्यादा सोचना
- सर खून कम मात्रा मे पोचना.
- इनके कारण सिरदर्द हो सकता हैं
सिरदर्द के प्रकार क्या हैं…?
- प्राइमरी सिरदर्द – मीग्रैन सीरदर्द- तनाव सिरदर्द- क्लस्टर सीरदर्द
- सेकंडरी सीरदर्द- रीबाउंड सिरदर्द (रेबाउंड headaches)- ब्लड प्रेशर- साइनस सिरदर्द- पोस्ट ट्रॉमैटिक सिरदर्द
1. प्राइमरी सिरदर्द :
– डॉक्टरों को आज भी प्राथमिक सिरदर्द की मुख्य वजह पता नहीं है, लेकिन यह मानना हैं कि दिमाग में विभिन्न रसायनों की प्रक्रिया और गतिविधियों से होता है, दिमाग की नसें और रक्त नलिकाएं दर्द का संकेत भेजती हैं। यह हाइपरटेंशन या फिर दिमाग़ पर लगने वाली चोट से नहीं होता।
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मीग्रैन से होने वाला दर्द :
– माइग्रेन में सामान्यतया दिमाग़ का लेफ्ट और राइट साइड का पूरा एक ही हिस्सा दर्द करता है. ये दर्द करीबन चार से पाँच घंटे तक रहता है. ये दर्द तेज़ शोर और रौशनी के कारण होने लगता है. यह दर्द होने के वक्त पीड़ित को उल्टी जैसा महसूस होता है तो किसी को शरीर बिल्कुल बेजान हो जाता है.
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तनाव से होने वाला दर्द :
– ये दर्द पूरे सर पर होता है और कई घंटो तक रहता है. इसमें पीड़ित को थकान महसूस होता हैं और बेचैनी भी महसूस होती है. इसे Pressure Headache भी कहा जाता है. तनाव के कारण गर्दन, पीठ की मांसपेशियों और सिर में दबाव जैसे हो सकता हैं।
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क्लस्टर सीरदर्द :
– क्लस्टर सिरदर्द अन्य सीरदर्द से बहुत ही गंभीर होता है. इसे सुसाइडल हैडेक भी कहा जाता है. इसमें एक ही दिन में क़रीब 7-8 बार तक असहनीय दर्द होता है. ये दर्द दिमाग़ के केवल एक ही तरफ़ होता है। इसमें आंखों से आसूं तक आने लगते हैं. इसका दर्द आधे से एक घंटे तक रहता है.
– दिमाग को ऑक्सीजन की आपूर्ति जरूर कुछ राहत देती है। क्लस्टर हैडेक रोकने के लिए ज्यादातर कैल्शियम चैनल ब्लॉकर का प्रयोग किया जाता है।
2. सेकंडरी सीरदर्द:
– सेकंडरी सिरदर्द मतलब जब सिर की संवेदनशील नसे अन्य कारक से उत्तेजित हो जाती है। यानि सिरदर्द मे होने वाले लक्षण को किसी अन्य कारण के लिए जिम्मेदार ठहराए जा सकते हैं।
इनमें शराब पिने से होने वाला हैंगओवर, ब्रेन ट्यूमर, रक्त का थक्का निर्माण होना , काला मोतियाबिंद, रात में दाँत दर्द होना , सर दर्द की दवा का अत्यधिक प्रयोग करना, शरीर में हलचल और लकवा के रूप में सेकंडरी सिरदर्द का समावेश होता हैं।
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रीबाउंड सिरदर्द (Rebound headaches) :
– रेबाउंड सीरदर्द यह सिरदर्द के लिए इलाज करने वाली दवा का ज्यादा मात्रा में उपयोग करने से होता हैं। ये मुख्य रूप से दिन में शुरू हो जाता हैं और बाद मे पूरे दिन जारी रहता हैं। जब तक दर्द की दवा लेते है तक तक आराम हो सकता है, लेकिन दवा का असर ख़त्म होने के बाद ये दर्द बहुत भयंकर हो जाते हैं।
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ब्लड प्रेशर से होने वाला सिरदर्द :
– Blood pressure यानि कि हाइपरटेंशन होने के कारण पीड़ित लोगों को सिर के पीछे और गर्दन में दर्द की शिकायत हो सकती है।
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साइनस सिरदर्द :
– साइनस में सूजन या संक्रमण (infection) होने के कारण चेहरे, सर और आँखों के पीछे दबाव और सूजन जानी जाती है।
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पोस्ट ट्रॉमैटिक सिरदर्द :
– पोस्ट-ट्रॉमेटिक सिरदर्द याने सिरपर और गर्दन में चोट लगने के कारण होता है, जो सिर की चोट एक्सीडेंट की वजह से मार-पीट, गिरने या फिर खेल के कारण लगी होती है. कुछ लोगों को चोट लगने के महीनों बाद भी यह दर्द महसूस होता है. दिमाग़ के आस-पास सूजन होने के कारण ये दर्द होने लगता है.
सिर दर्द के लक्षण –
– प्राचीन आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ के 3 प्रकार होते हैं।
– इन तीनो के मिश्रित,असंतुलन या प्रधानता या एकल के प्रधानता के कारण सिर में दर्द होता है।
– तीनों ही दोषों के कारणों से सिरदर्द होता है।
– लेकिन हर एक दोष के बढ़नें के कारण सिर में दर्द होता हैं ।
1.वातज सिरदर्द के लक्षण :
- बिना किसी कारण के सिर में दर्द होना ।
- रात के समय में यह दर्द ज्यादा होना ।
- सिर को कपडे से बांधने से आराम मिलता है।
2.पित्तज सिरदर्द के लक्षण
- सिर में जलन और दर्द होना ।
- आँखों में भी जलन होती है।
- ठंडे पानी से नहाने से या ठंडा खाने से शांति मिलती है।
3.कफ के कारण होने वाले सिरदर्द के लक्षण
- सिर एवं गला कफ से भरा हुआ महसूस होना ।
- आँखो और चेहरे पर सूजन होना।
सिर दर्द के घरेलू उपचार –
– जीवनशैली और खान-पान सिर दर्द होने का सबसे बड़ा कारण बन चुका है।
– खराब लाइफस्टाइल और टेक्नोलॉजी का ज्यादा इस्तेमाल करने से सिरदर्द को बढ़ा रहा है।
– लोग सिर दर्द से राहत पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाते हैं जिससे जल्दी और आसानी से आराम मिल जाये।
– तो आइये जानते हैं घरेलु उपचार क्या हैं..
1.तेल से चंपी करें (Oil Massage) :
– तनाव (tension headache) के कारण होने वाले सिर दर्द को कम करने के लिए सिर पर तैल से मालिश करें।
2.अदरक का सेवन (use of Ginger) :
– अदरक मे ए, सी और बी काम्प्लैक्स, विटामिन्स, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, सिलिकॉन, सोडियम, लौह, जस्ता, कैल्शियम और वीटा- कैरोटीन आदि का अच्छा स्रोत है। अदरक प्रोस्टाग्लैडीन याने दर्द को बढाबा देने वाले होर्मोन को रक्त वाहिनियों में दर्द और सूजन पैदा करने से रोकता हैं. इस क्षमता की वजह से यह माइग्रेन-पीड़ित व्यक्ति को माइग्रेन के दर्द से राहत दिलाता है।
1.अदरक का जूस और नींबू के जूस सामान मात्रा में मिला लें।
2.इसको पूरे दिन में एक या दो बार जरूर पियें
एक चम्मच अदरक के पाउडर में दो चम्मच पानी मिला लें। इस पेस्ट को माथे पर कुछ मिनट के लिए लगाकर रखें।
अदरक के पाउडर या कच्चे अदरक को पानी में उबालकर फिर इस पानी से कुछ मिनट तक भाप लेने ले ।
3.तुलसी का सेवन :
– आपने अक्सर लोगों को सिर दर्द होने पर चाय या कॉफी पीते हुए देखा होगा. लेकिन तुलसी की पत्तियों को पानी में उबाल कर उसका सेवन कीजिए. ये सिरदर्द से राहत मिलाने मै कहीं अधिक फायदेमंद हो सकती है.
4.लौंग :
– लौंग का कही सारे रोगों मे काफी इस्तेमाल किया जाता है. सिरदर्द मे भी यह आराम दिलाता हैं। लौंग की कुछ कलियों को गर्म करके एक कपडे में बांध लीजिए. कुछ-कुछ देर पर इसको सूंघते रहिए. इससे सिरदर्द ठीक करने में मदद मिल सकती है.
5.एक्यूप्रेशर :
– भलेही कम लोग एक्यूप्रेशर को जानते होंगे।
सिर दर्द होने पर आप अपनी दोनों हथेलियों को सामने ले आइए कान से कुछ दूरी पर आंख की ओर, सिर के दोनों तरफ के गढ्ढे को अंगूठे से दबाएं। वहां दबाने से आराम मिलेग। ये प्रक्रिया दोनों हाथों में दो से चार मिनट तक दोहराइए. ऐसा करने से आपको सिर दर्द से राहत मिल सकती है.
6.नींबू लेप (lemon)
– नींबू के छिलके को पीसकर इसका लेप सिर पर लगाने से सिर दर्द को आराम देता हैं.
7.माइग्रेन के दर्द को दूर करने के लिए
1.देसी घी
- – माइग्रेन का असहनीय दर्द कम करने के लिए रोजाना शुद्ध देसी घी की 2-2 बूंदें नाक में डालें. इससे दर्द कम होता हैं।
2.दालचीनी
- दालचीनी जो खाने के साथ ही माइग्रेन का सफल इलाज भी करता है।
- दालचीनी को पानी के साथ पीस ले।
- इसके बाद आधे घंटे तक माथे पर लगाकर रखें. इससे तुरंत आराम मिलेगा।
3.अदरक
- चाय में अदरक डालकर पिएं या अदरक का टुकड़ा मुंह में रख लें. अदरक का किसी भी रूप में सेवन करने से फायदा मिलता है.
8.आसन और योग :
1.आसन:
- पश्चिमोत्तानासन : यह आसन मस्तिष्क को शांत करता हैं।
2.योग
- जमीन पर बैठ कर दोनों पैरो को आगे की ओर फैला ले।
- बाद मे अपने हाथों को पैर की तरफ ले जाते हुए आगे की ओर झुकाये.
- इससे मस्तिष्क शांत होता है और तनाव दूर होता है.
- इस आसन से सिरदर्द में भी आराम मिलता है.
- नीचे की ओर चेहरा रखते हुए श्वानासन करने से रक्त संचार में वृद्धि होती है जिससे सिर दर्द से मुक्ति मिलती है.
सिर दर्द न होने के लिए क्या करें (Prevention) :
- ऊपर बताये गए सिर दर्द या माइग्रेन होने के लक्षण और कारणों के बारे में जाना।
- लेकिन आप अपने डेली के जीवन में से होने वाले सिरदर्द को कुछ बदलाव लाने प्रयास कर सकते हैं।
- इन समस्याओं के कारण जो सिर दर्द होता है उसको होने से रोक सकते हैं।
- ऐसे ही कुछ सिरदर्द ना हो इसके लिए आसान उपायों के बारे में जान लीजिये
- इसके अलावा रोजाना वायम करके आपको काफी लाभ पहुंचता है
दवा (medicines)-
– किसी भी दवा को हमेशा लेकर उसके बाद अचानक दवा बन्द कर देने से सिर दर्द बढ़ जाता है, इसलिए दर्द की दवा का सेवन ज्यादा दर्द हो रहा हो या फिर डॉक्टर की देखरेख से ही करें।
शराब-
– शराब पिने से लिवर भी डैमेज हो जाता हैं। इससे दिमागी संतुलन भी बीघड़ ज्याता हैं। ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन तथा बिना पानी के शराब का सेवन करने से सिर दर्द होने लगती है।
निकोटिन-
– तम्बाकू सेवन करने से भी सिर दर्द होता है।
नींद –
– नियमित एवं पर्याप्त मात्रा में नींद लें। नहीं तो सिरदर्द होता हैं।
तनाव –
– तनाव को कम करने के लिए व्यायाम एवं प्राणायाम करने का प्रयास करें। ज्यादा तनाव स्ट्रेस और चिन्ता न करें.
पानी-
– नियमित रुप से टाइम पर खाना खाये और अपने शरीर के अंदर पानी की कमी न होने दें। दिन में 10-12 गिलास पानी जरुर पियें।
नींद-
– रोजाना कम से कम से 7-8 घण्टे की नींद लें और सुबह जल्दी उठे।
मेडिटेशन–
– रोजाना मेडिटेशन और एक्सरसाइज करें।
टीवी या कंप्यूटर देखना-
– लम्बे समय तक टीवी न देखे कम्प्यूटर और मोबाइल न देखें।
सांस लेना–
गहरी गहरी साँस लें।
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