सफेद दागों से परेशान जानिए सफेद दागों के लिए उपाय solution on white patches

नमस्कार दोस्तों आप सभी का सर्वांग आयुर्वेद वेबसाइट पर स्वागत है। आज का हमारा विषय है सफेद दागों के लिए उपाय। चलिए तो जान लेते सफेद दाग का मतलब क्या होता है? सफेद के कारण लक्षण घरेलू उपाय और आयुर्वेदिक उपाय।

सफेद दाग क्या होता है?

सफेद दाग एक आम समस्या है। सफेद दागों अंग्रेजी में विटिलिगो या ल्यूकोडर्मा नाम से जाना जाता है।यह एक ऑटो इम्यून डिज़ीज़ होता है, जिसमें व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचाने लगती है। यह शरीर के इम्यून सिस्टम की कार्य प्रणाली में होने वाली असंतुलन होने के कारण होता है। ऐसी स्थिति में त्वचा की रंगत निर्धारित करने वाले मेलेनोसाइट्स नामक सेल्स धीरे-धीरे नष्ट होने लगते हैं, नतीजतन त्वचा पर सफेद धब्बे नज़र आने लगते हैं।

कई बार यह जेनेटिकल कारणों से भी हो सकती है पर ये छूने से दूसरों को संक्रमित नहीं होते हैं। कुछ लोग इसे कुष्ठ रोग यानी लेप्रेसी की शुरुआती अवस्था मानकर इससे बहुत ज्यादा भयभीत हो जाते हैं पर वास्तव में ऐसा नहीं है। लेप्रेसी से इसका कोई संबंध नहीं है। यह एक प्रकार का चर्म रोग है जिससे शरीर के किसी अंदरूनी हिस्से को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचता

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आमतौर पर यह समस्या होंठों और हाथ-पैरों पर दिखाई देती है। इसके अलावा शरीर के कई अलग-अलग हिस्सों पर भी ऐसे दाग नज़र आ सकते हैं। यह आम समस्या है जिसके कारणों का पूरी तरह पता नहीं चल सका है। फिर भी डॉक्टर के  द्वारा इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार वात, पित्त और कफ यानि त्रिदोषज के कारण ही सभी प्रकार के त्वचा के रोग होते हैं फिर भी दोषों के अपने निजी लक्षणों से उनकी सबलता तथा निर्बलता की समीक्षा (diagnosis) कर उसके अनुसार चिकित्सा की जाती है। जिस दोष के लक्षण को विशेष रूप से बढ़े हुए नजर आते हैं उसकी चिकित्सा पहले की जाती है। ये वात, कफ की प्रधानता होने पर होते हैं।

इसमें छोटे-छोटे धब्बे शरीर के किसी विशेष भाग में दिखाई देते हैं। इसें दाग का रंग फीका पड़ा हुआ या गहरा, उसके आकार पर निर्भर करता है, जिसके कुछ प्रकार शामिल हैं-

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डॉक्टर रोगी को अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से बचने की सलाह देते हैं। कई बार एक से डेढ़ साल तक की अवधि में यह बीमारी ठीक हो जाती है जबकि कुछ मामलों में जरूरी नहीं है कि यह ठीक भी हो। विटिलिगो (ल्यूकोडर्मा) एक प्रकार का त्वचा रोग है, दुनिया भर की लगभग 0.5 प्रतिशत से एक प्रतिशत आबादी विटिलिगो से प्रभावित है, लेकिन भारत में इससे प्रभावित लोगों की आबादी लगभग 8.8 प्रतिशत तक दर्ज किया गया है।

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सफेद दाग की समस्या यानी कि विटिलिगो किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है, लेकिन विटिलिगो के आधा से ज्यादा मामलों में यह 20 साल की उम्र से पहले ही विकसित हो जाता है, वहीं 95 प्रतिशत मामलों में 40 वर्ष से पहले ही विकसित होता है शुरुआत में छोटा-सा दिखाई देने वाला यह दाग धीरे-धीरे काफी बड़ा हो जाता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली नहीं होती। चेहरे पर या शरीर के अन्य किसी हिस्से में सफेद दाग होने के कारण कई बार व्यक्ति में हीनता की भावना भी पैदा हो जाती है।

सफेद दाग के कारण(causes of white patches on skin)

ज्यादा केमिकल एक्सपोजर यानी प्लास्टिक, रबर या केमिकल फैक्ट्री में काम करने वाले लोगों को खतरा ज्यादा होता है। कीमोथेरेपी से भी इसकी समस्या हो सकती है।

  1. कई बार शरीर में जरूरी मात्रा में विटामिन्स व मिनिरल्स की कमी से भी सफेद दाग की समस्या हो जाती है। संतुलित डायट न लेने की वजह से शरीर की त्वचा के रंग से थोड़े हल्के रंग के दाग हो सकते हैं। ये दाग पूरी तरह सफेद नहीं दिखते।
  2. केमिकल ल्यूकोडर्मा यानी खराब क्वालिटी की चिपकाने वाली बिंदी या खराब प्लास्टिक की चप्पल या जूते इस्तेमाल करने से।
  3. त्वचा का अधिक धूप ,तनाव या औद्योगिक केमिकल आदि के संपर्क में आना।
  4. लीवर रोग।जलने या चोट लगने से।पाचन तंत्र खराब होने से।
  5. शरीर में कैल्शियम की कमी होना।बच्चों के पेट में कृमि।थाइरॉयड संबंधी बीमारी होने पर।
  6. कई बार किसी फंगल संक्रमण के परिणामस्वरूप भी त्वचा पर सफेद दाग की समस्या होती है।
  7. त्वचा में सफेद दाग तब बनने लगते हैं जब रंग उत्पादन करने वाली कोशिका जो हमारे बाल, त्वचा, होंठ आदि को रंग प्रदान करती है वो काम करना बंद कर देती है या नष्ट हो जाती है। इस रोग में दाग की त्वचा का रंग हल्का पड़ जाता है या सफेद हो जाता है।

सफेद दाग के लक्षण(symptoms of white patches on skin)

सफेद दाग का मुख्य लक्षण त्वचा के रंग का कुछ -कुछ जगहों पर फीका पड़ जाना या सफेद पड़ जाना होता है। आम तौर पर इस रोग में सूरज की किरणों के संपर्क में आनी वाली त्वचा को ज्यादा नुकसान होता है, जैसे हाथ, पैर, भुजा, चेहरा और होंठ आदि।

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सफेद दाग की पहचान में सबसे शुरुआती लक्षण है, त्वचा का रंग फीका पड़ना और उस जगह पर बाल भी सफेद होना। शरीर पर अगर सफेद दाग हो जाये और उसके बाद कहीं चोट लगे और वो जगह भी सफेद हो जाये तब आपको समझ जाना चाहिए कि ये समस्या तेजी से शरीर में बढ़ रही है। ल्यूकोडर्मा का रोग कोई सरलता से ठीक होने वाला रोग नहीं है और न ही ये छूने से फैलता है। आयुर्वेदिक तरीके से उपाय करके इस समस्या को ठीक कर सकते हैं।

समय से पहले सिर के बाल, दाढ़ी, भौहें व पलकें आदि के बालों का रंग उड़ जाना या सफेद हो जाना।

आयुर्वेदा के अनुसार सफेद दाग को कैसे छुटकारा दिलाए(solution of white patches on skin)

आयुर्वेद के अनुसार, पित्त या इसके साथ बाकी वातों की गड़बड़ी से सफेद दाग की समस्या होती है। जो लोग बहुत ज्यादा तला-भुना, मसालेदार, बेवक्त खाने के अलावा विरुद्ध आहार यानी किमसलन दूध के साथ नमक या मछली आदि लेता है, उसमें यह समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है। आयुर्वेद में पंचकर्म के जरिए शरीर को डिटॉक्सिफाई किया जाता है। इसके अलावा बाकुची बीज, खदिर , दारुहरिद्रा, करंज, आरग्वध आदि सिंगल हर्ब्स के जरिए भी खून को साफ किया जाता है। इसके अलावा कंपाउंड मेडिसिन भी दी जाती है जैसे कि गंधक रसायन, रस माणिक्य, मंजिष्ठादि काढ़ा, खदिरादि वटी आदि है। त्रिफला बेहतरीन और असरदार उपाय माना जाता है।

आयुर्वेद इसके इलाज और बचाव के लिए खान-पान पर बहुत जोर देता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक, पीड़ित को तांबे के बर्तन में पानी को 8 घण्टे रखने के बाद पीना चाहिए। हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, लौकी, सोयाबीन, दालें ज्यादा खाना चाहिए। पेट में कीड़ा न हो, लीवर दुरुस्त रहे, इसकी जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा लें। एक कटोरी भीगे काले चने और 3 से 4 बादाम हर रोज खाएं। ताजा गिलोय या एलोवेरा जूस पीएं। इससे इम्यूनिटी बढ़ती है।

सफेद दाग ग्रस्त व्यक्ति को करेले की सब्जी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए। सफेद चकते को दूर करने के लिए सबसे पहले अपनी जीवन शैली और खानपान पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। जैसे कि

  • फल – अंगूर, अखरोट, खुबानी, खजूर, पपीता।
  • अन्य खाद्य पदार्थ – गेहूँ, आलू, देशी घी, लाल मिर्च, चना, गुड़, पिस्ता, बादाम।
  • सब्जियां – मूली, गाजर, चुकंदर, मेथी, पालक, प्याज, फलियाँ। इन सभी खाद्य पदार्थों को अपने डाइट में शामिल करना चाहिए।
  • साबुन और डिटरजेंट का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए।

सफेद दागों के लिए घरेलू उपाय(home remedy for white patches on skin)

सफेद दागों के लिए उपाय नारियल तेल home remedy for white patches is Coconut Oil

नारियल तेल त्वचा संबंधी बीमारी के लिए काफी कारगर साबित होता है। क्योंकि यह त्वचा को पुन: वर्णकता प्रदान करने में सहायक है। साथ ही नारियल के तेल में जीवाणुरोधी और संक्रमण विरोध गुण होते हैं। ऐसे में शरीर के जिन हिस्सों पर सफेद दाग हैं, उन जगहों पर दिन में 2 से 3 बार नारियल तेल का उपयोग करना चाहिए। यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

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हल्दी है सफेद दागों के लिए उपाय home remedy for white patches is Turmeric

हल्दी में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। हल्दी और सरसों के तेल का लेप बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं, इससे सफेद दाग में कमी आती है। इसके अलावा आप हल्दी पाउडर और नीम की पत्ति‍यों का लेप भी कर सकते हैं।

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तांबा का बर्तन using copper container

शरीर में तांबा तत्व मेलेनिन के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक है। इसलिए तांबें के बर्तन में रातभर पानी भरकर रखें और सुबह उठकर खाली पेट उसे पिएं। इससे सफेद दागों में कमी आ सकती है।

लाल मिट्टी using red clay for white patches

जहां तांबे से मेलेनिन तत्व मिलता है, वहीं, लाल मिट्टी में भरपूर मात्रा में तांबा पाया जाता है। ऐसे में लाल मिट्टी का लेप बनाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाना चाहिए। लाल मिट्टी मेलेनिन के निर्माण और त्वचा के रंग का दोबारा निर्माण करती है। इसे अदरक के रस के साथ मिलाकर भी प्रभावित स्थान पर लगाना फायदेमंद साबित हो सकता है।

सफेद दागों के लिए उपायनीम using neem

नीम एक बेहतरीन रक्तशोधक और संक्रमण विरोधी तत्वों से भरपूर औषधि‍ है। नीम के पत्त‍ियों को छाछ के साथ पीसकर इसका लेप बनाकर त्वचा पर लगाएं। जब यह पूरी तरह सूख जाए तो इसे धो लें। इसके अलावा आप नीम के तेल का प्रयोग भी कर सकते हैं और नीम के जूस का सेवन भी कर सकते हैं।

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सफेद दागों के लिए उपाय,अदरक using ginger for white patches

रक्तसंचार को बेहतर बनाने और मेलेनिन के निर्माण में अदरक काफी फायदेमंद है। इसके रस को पानी में मिलाकर पिएं और प्रभावित त्वचा पर भी लगाएं।

बथुआ की सब्जी using Bathua vegetable

सफेद दाग से ग्रस्त व्यक्ति को रोज बथुआ की सब्जी खानी चाहिए। बथुआ उबाल कर उसके पानी से सफेद दाग वाली जगह को दिन में तीन से चार बार धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकालकर उसमें आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें जब सिर्फ तेल रह जाये तो उसे उतारकर शीशी में भर लें। इसे लगातार लगाते रहें।

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